blogger header by Arvind Kumar

थोड़ा सा अनुग्रह : 1 पतरस अध्‍याय 4

 Click to read English version.

1 पतरस अध्‍याय 4

‘’जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्‍वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाई एक दूसरे की सेवा में लगाए। यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले, मानों परमेश्‍वर का वचन है; यदि कोई सेवा करें; तो उस शक्ति से करें जो परमेश्‍वर देता है; जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्‍वर की महिमा प्रगट हो‘’ (1पतरस 4:10-11)

परमेश्‍वर ने हम सब को कुछ ना कुछ प्रतिभाओं के दान दिये है किसी को बोलने की प्रतिभा किसी को सेवा करने की प्रतिभा (किसी को दोनों) जिसके द्वारा हम एक दूसरे की सेवा कर सकें। एक दूसरे की सेवा करने के लिए ही परमेश्‍वर ने हमें इन प्रतिभाओं के दान दिये है। इन प्रतिभाओं के दानों को प्रयोग करने के लिए एक मुख्‍य शब्‍द इन पदों में आया है कि, ‘’परमेश्‍वर के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाई...’’ परमेश्‍वर के अनुग्रह के द्वारा मिले इन प्रतिभाओं के दानों को प्रयोग करने के लिए, हमें दूसरों की सहायता के किसी भी अवसर को नही छोडना चाहिये। हमें इन दानों को वैसे ही प्रयोग करना चाहिये जैसा परमेश्‍वर चाहता है।

लेकिन परमेश्‍वर के अनुग्रह के भण्‍डारी होने के लिए सामूहिक कार्य करने की आवश्‍यकता है। मेरे पास देने के लिए कुछ है और आप के पास देने के लिए कुछ है। परमेश्‍वर का जो अनुग्रह हमें मिला है जब हम उसको दूसरों के साथ बांटते है तो हम परमेश्‍वर के अनुग्रह को अपने अपने जीवनों में संयुक्‍त रूप से सम्‍पूर्ण करते है। परमेश्‍वर का अनुग्रह हम सब विभिन्‍न तरीकों से प्रगट करते है, और हम एक साथ इसको सम्‍पूर्ण करते है। 

तो आईये हम परमेश्‍वर के द्वारा मिले प्रतिभा के दानों को प्रयोग करें ताकि परमेश्‍वर का अनु्ग्रह बढें और प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर की महिमा हो।